शाम के 7 बजे।
मंदिर के पास कुछ बच्चे खेल रहे थे।
तभी 3 साधु आए और मंदिर में गए।
उजाला करने के लिए उन्होंने एक दिया जलाया।
एक साधु के मन में आया कि, क्यूँ ना बच्चों की परीक्षा ली जाए।
उन्होंने एक 8-10 साल के बालक को बुलाया...
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जलता दिया उसके करीब रख दिया और बोले,
" बोल बेटा, ये ज्योति कहाँ से आई ?? "
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बालक ने कुछ देर साधु के चेहरे की ओर देखा,
फिर उस जलते दिये की ज्योति को देखा और फिर,
एक फूँक मारकर ज्योति को बुझा दिया।
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फिर साधु से बोला---" पहले आप मुझे बताइए बाबा कि...
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ज्योति कहाँ गई ?? "
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साधु ने बालक को साष्टांग दंडवत प्रणाम किया, और कहा---" तुम महान हो बेटा, भविष्य में तुम खूब तरक्की करोगे और तुम्हारी कीर्ति दूर दूर तक फैलेगी। "
और आज वही बालक बडा हो कर
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आप सबको ये मेसेज कर रहा है।।
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